Tuesday, August 30, 2011

Kumaoni Poem

धन्य हो अन्ना



कभै लै नी भै यस प्रदर्शन ,
इतिहास कथन छु.
जगै दि त्वील भारत क जन,
धन्य हो अन्ना सत सत नमन छु.
देखि अनशन चकरै गे,
संसद में बैठी भद्रजन.
के निभै भ्रष्टाचारैकि चिन्ता ,
कर छी आपस में अनबन
बडि. ताकत ल्ही बेर आ ,
त्त्यर य बार दिनोंक अनशन.
तीनै मांग मानी गई,
कर संसद दिन भर मंथन.
खुशि छन आज भारत क जन ,
देखि लोकपालै कि  किरण.
गांधी ज्यूक अहिंसा क पाठ,
स्वतन्त्र भारत में त्वील पढै दे.
राष्ट्र क मान , भारत छु महान,
सारि दुनि कैं दिखै दे.   


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