Wednesday, August 15, 2012

Plantation

My tree friend  name is Devdar . I am a teacher in govt. school of uttarakhand ..  every year in our schools we take a plantation activity  , but this plantation is  a palantation formality  . we says our students bring  plants with them when they  are  coming to  school.  They just bring a naturally grown plant from the way from where they are coming . then they plant it at school . I observed that they never grow. The climate of school is xerofitic So  I think we are planting or destroying  the naturelly grown plants?this is common in most of our schools in uttarakhand .So   I talk to my principal to plant some devdar trees in school campus . I purchased   some  plants  from a nursury &bring them in my scooter .I & our students  planted them in school campus. Now at present two plants are survived as trees, when I saw them I become happy & I feel  pleseant .  

prayas

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Wednesday, May 30, 2012

school teacher

मास्टर ज्यू हमौर गौं क

बदलि गैंइ मास्टर ज्यू ,
जो छी गौं में थाप.
हिटि लमालम, इस्कूल औंछी,
मोटर उतरि , औनी आब.
आंड़ कुर्त पैजाम,
छुट्नै रौंछी, पस्यण त्वाप.
खुट्न चपल्ल, हाथ में सिकौड़,
कानि लटकि छात.
नई छु जमान,
जीन्स पेंन्ट आंख में चशम.
गौवन   लटकि कैमरा,
जीपीएस पकड़ि हाथम.
ठुल छु बैग,
नानतिनों एकबटि जाओ,
टनट्न  घंटी लगाओ,
ऎ गैंई सैप.
हे दयानिधे! बुद्धि हमन कैं दे,
उठण बैठण, के त सीखै दे.
सुरयाव मिलि , किताब ऐगे,
सीसीई छु आइ, पास करण सुगम हैगे.
पढन लेखण, आब भै गौंण.
भोजन माता,
नानतिनौं कैं, भात खवै दे.
लकाड़ नि भै, कसि पाकूं भात,
पुराणि जो छन कुर्सी, तोड़ि दे,
मार जोर लात.
सेवारत ट्रेनिंग आइ ,
मास्टर न्है गे हाट.
शिक्षा छु अधिकार,
तमस मिटा ग्य़ान बांट.
मिलोल खस्यौर,
ड्रौप आउट भौत छु.
नान न्है गई टाइवाल इस्कूल,
आब जै मौत छु.
नै नै  हमर गौंक मास्टर ज्यू ,
सर्वशिक्षा में लागि भै.
चैन क चुपाड़ गुल्प्याक ड़्यौड़,
मास्टर ज्यूक हई भै.

lokpal aal

लोकपाल  आल

लोकपाल  आल,
भ्रष्टों कि अगियारि बुझाल.
हम छां इन्डियन,
हमर छु जाल .
हमुन धैं डर बेर,
कैं खुद फ़ांसि त नि लगाल,
हम छां  भारतवासी,
दुनि होल साक्षी.
दूत बणि बेर ,
ठाड.  है जून.
मौत कैं लै मात दि,
तुकैं छिन ल्यून.
अरे लोकपाल,
तोडि. भ्रष्टों क जाल ,
उनकैं पकडि. ल्यालै,
आपुं कैं न
भ्रष्टन कैं फांसि लगालै

LOKPAL

भ्रष्टाचार

सबै छ्न लाचार ,
मिटुण छु भ्रष्टाचार.
सरकारक  सब चाल,
 है गैंई बेकार.
जन लोकपालै कि लिजि ,
अन्नाल भरि हैलि हुंकार ,
 दिल्लीक  राम लीला मैदान,
उठिगो  भ्रष्टाचार क सवाल,
सार देश अन्ना अन्ना है गै,
मचि गो धमाल,
डटि रओ अन्ना दगडी छ्न ,
 भारताक आम  जन  .
दक्छिण  बै  गांधी ज्यूक दगडि ,
श्री वैंकट के  कुनैई ,
गांधी है बेर अन्ना ,
आघिल नै गैंई .
विशिष्ट  जन  कुनैई,
 को छु अन्ना, भ्रष्ट छु अन्ना,
 आम जन भारताक कुनैई,
 मैं छु अन्ना मैं छु अन्ना.
कैभै कुनै  छन,
तुमर जन लोक पाल,
कैभै कुनै छन,
 हमर मजबूत लोक पाल .
संवेदनशील छी अंग्रेज,
सुण छी गांधी ज्यूक सवाल.
य संवेदनहीन भ्रष्टाचार में लीन,
मचै सकनि बबाल ,
कभै संसद कभै संविधान ,
 नई नई लागनैई ल्याख.
जगै हैलि अन्नाल  सब जन ,
सार देश लागणै लागि जाग.     

Tuesday, August 30, 2011

Kumaoni Poem

धन्य हो अन्ना



कभै लै नी भै यस प्रदर्शन ,
इतिहास कथन छु.
जगै दि त्वील भारत क जन,
धन्य हो अन्ना सत सत नमन छु.
देखि अनशन चकरै गे,
संसद में बैठी भद्रजन.
के निभै भ्रष्टाचारैकि चिन्ता ,
कर छी आपस में अनबन
बडि. ताकत ल्ही बेर आ ,
त्त्यर य बार दिनोंक अनशन.
तीनै मांग मानी गई,
कर संसद दिन भर मंथन.
खुशि छन आज भारत क जन ,
देखि लोकपालै कि  किरण.
गांधी ज्यूक अहिंसा क पाठ,
स्वतन्त्र भारत में त्वील पढै दे.
राष्ट्र क मान , भारत छु महान,
सारि दुनि कैं दिखै दे.   


Saturday, August 27, 2011

lokpal

चौसठ साल है  गैइ ,
आए लै नि भै देर ,
ऐ गैइ जन तिरंग हाथ में ल्ही  ;
ख्वार गाँधी टॉपि पैर  बेर ,
के कारन भै सड्कन यतु भीड़
इतरी भारि के भै य पीड़,
भ्रसटाचारक छु य दानव ,
भगूड हूँ ऐगो धरती में महामानव,
जगै  हालि यैल भारतक जन ,
खिति आपुण ख्वार कफ़न ,
बार दिन बै भूखै फिर लै छन टनटन,
रामलीला मैदान में करण लागि   अनशन
तीन मांग छन सुण लिह्यो तुम विशेष जन
तत्काल खतम कर दयूँ आपुण अनशन
सिटीजन  चार्टर लोकायुक्त अफसरशाही ,
इन तीनो  कै शामिल कर लिह्यो  भाई,
युवराज  आब कुनैइ नि करो अन्ना बबाल
य छु हमरि संसद हमर विधान छु
सामणि वीक  धरून य़स संविधान  छु,
आब  देखन भुलि कसि हैं रफ़्तार ,
काहूँ जां य भ्रस्टाचार  ,
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